आस्मां में उड़ते बादल को ,
छूने को दिल मचलता है |
किसी समुद्र किनारे ,
एक शाम बिताने मन करता है |
आज फिर मेरा जीने का मन करता है |
कहीं एकांत में बैठ कर ,
गीत गुन-गुनाने को मन करता है |
इस हवा कि नर्मी के,
एहसास को तन सिसक्ता है |
आज फिर मेरा जीने का मन करता है |
इस भागती जिंदगि से ,
कुछ पल चुराने को मन करता है |
खुद के साथ कुछ वक्त ,
बिताने को मन करता है |
आज फिर मेरा जीने का मन करता है |
बीते कल को भूल जाने ,
और आने वाले कल को रो़क देने का मन करता है |
आदी-अंत के फेर से बाहर आ कर ,
कहीं खो जाने को मन करता है |
आज मेरा आज में जीने को मन करता है |