Friday, November 15, 2013

Goa - Inspiration to Life!



I feel so live!
I can feel every breath!
I feel more complete when I go to sleep.
Life seems to have found its meaning.
The thoughts are clearer than ever,
And senses have got sharpen like never before!
The soul is feeling sense of belongingness to the World,
And mind has drifted in theta and gamma state!
There is feeling of bliss that I don't wanna let go.
I want to savor those moments forever!
I want to color it all with joy of being myself!
I have found myself in reflection of Goa!
And it happened everywhere,
Be it coffee shops, clubs or shacks,
Be it Morjim, Baga or Anjuna!
Bike night rides in sea breeze reminded of past!
The feeling was similar, deeper and stronger!
The sunset at Morjim was an inspiration to live!
The dance at clubs n shacks were inspiration to lead!
Life has started looking like a beautiful lady,
Whom I wish to lead in every dance I do
With grace and love!


Thanks Goa!

Friday, May 17, 2013

क्या खोया, क्या पाया ?


क्यूँ सब होते हुए भी सुकून नहीं है ?
क्यूँ बे वजह दिल में दर्द कहीं है ?
क्यूँ खोया खोया सा यह एहसास है ?
क्यूँ ख्यालों में न कोई आस है ?
जैसा चाहा था वैसा आज सभी है ?
अच्छी नौकरी, अच्छा घर ,
फिर क्या कमी है ?
क्यूँ सब होते हुए भी सुकून नहीं है ?

क्यूँ खालीपन मन में समाये जा रहा है ?
क्यूँ अन्दर ही अन्दर अँधेरा छाता जा रहा है ?
क्यूँ आशाएँ-इक्चाएं आज ख़तम हो रही है ?
क्यूँ .... ?

कुछ बातें मन को विचलित कर रही है |
शायद मेरी इस्तिथि पर सवाल कर रहीं है |
एक आवाज़ जैसे अन्दर चीख भर रही है |
मेरे आगे के सफ़र का रास्ता पूछ रही है |
 और मेरी इस विडंबना पर हस रही है |

 वोह मुझसे पूछ रही है ,
 क्या यही तुम बनना चाहते थे ?
क्या यही जीवन का उद्देश्य था ?
क्या इसी के लिए तुम लड़ते थे ?
क्या यही तुम्हारा संघर्ष था ?
बातें तो बड़ी-बड़ी कहा करते थे |
पंछियों सी उड़ान भरा करते थे |
लक्ष्य अनंत रखा करते थे |
और दुनिया बदलने की सोचा करते थे |

आज तुम इसका हिस्सा बनते जा रहे हो |
भीड़ में पहचान खोये जा रहे हो |



Friday, April 5, 2013

होली !

होली का सवेरा एक सुखद एहसास है |
इसमें आशा, ख़ुशी और चंचलता का न्यास है |
हवा का मिजाज़ कुछ बदल सा जाता है |
कब मुट्ठी भर गुलाल कोई उसमें उड़ा जाता है |

इस रंगों के त्यौहार का अपना ही रंग है |
मन में जागी कई सोयी उमंग है |
बचपन की शरारतें तब याद आती है |
उम्र भुलाने को मजबूर जार जाती है |
रंग हाथ में लिए तब हम निकलते हैं |
और सभी साथियों के साथ हुडदंग करते हैं |
एक दुसरे के रंगे चहरे देख,
आनंद का अनुभव  कुछ खास  होता है |
हसी के ठहाकों से ज़िन्दगी का एहसास होता है |

रंगों का महत्व इस पर्व से समझ आता है |
यह एक दिन हम सबको जिंदादिली दे जाता है |
त्वचा पे लगा रंग तो अगले दिन साथ छोड़ जाता है |
पर मन पे लगा ख़ुशी, आशा, उमंग और सुकून से भरा रंग,
अगली होली तक साथ निभाता है |