Friday, December 3, 2010

माना प्यार करता हूँ |


माना मैं प्यार करता नहीं ,
पर तू तो मुझे चाहती थी ना |
माना मैं कुछ समझता नहीं ,
पर तू तो सब समझती थी ना |
माना मैंने गलती की ,
पर भुला तू उसे चुकी थी ना |
माना मैं याद करता नहीं ,
पर तू तो खत लिखती थी ना |
माना मैं रूठा बहुत ,
पर तू माना लेती थी ना |
माना मैं गंभीर हूँ ,
पर हँसा तू देती थी ना |
माना मैंने देर की ,
पर इंतज़ार तू करती थी ना |

माना आज मैं भी तुझे याद करता हूँ ,
जितना तू किया करती थी ना |
माना आज उन लम्हों को तरसता हूँ ,
जिनमें तू साथ हुआ करती थी ना |
माना मैं आज तेरा होना चाहता हूँ ,
पर तू अब किसी और की है ना |
माना मैं भी प्यार करता हूँ ,
पर तेरा प्यार पाना अब मुश्किल है ना .......

Friday, October 8, 2010

जीने का मन करता है !

आस्मां में उड़ते बादल को ,
छूने  को दिल मचलता है |
किसी समुद्र किनारे ,
एक शाम बिताने मन करता है |
आज फिर मेरा जीने का मन करता है |

कहीं एकांत में बैठ कर ,
गीत गुन-गुनाने को मन करता है |
इस हवा कि नर्मी के,
एहसास को तन सिसक्ता है |
आज फिर मेरा जीने का मन करता है |

इस भागती जिंदगि से ,
कुछ पल चुराने को मन करता है |
खुद के साथ कुछ वक्त ,
बिताने को मन करता है |
 आज फिर मेरा जीने का मन करता है |

बीते कल को भूल जाने ,
और आने वाले कल को रो़क देने का मन करता है |
आदी-अंत के फेर से बाहर आ कर ,
कहीं खो जाने को मन करता है |
आज मेरा आज में जीने को मन करता है |

Monday, August 23, 2010

व्यथा !!



कभी खुली किताब था ,
आज बंद द्वार हूँ मैं |
जवाब सभी सवालों के थे ,
आज जवाब कि तलाश हूँ मैं |
दुनिया की उलझनों में उलझा ,
एक सीधा सा इंसान हूँ मैं |
जीवन-मरण नहीं जानता,
सत्य-असत्य नहीं पहचानता |
इस विशाल-कायी ब्रह्माण्ड में ,
शुन्य के सामान हूँ मैं |

Tuesday, July 27, 2010

हे युवा!!!!!

वृद्ध अवस्था में पिता ने पुत्र को है पुकारा ,
अस्वस्थ है शरीर और वक्त का है वह मारा |
कहराने से उसकी पीड़ा का प्रतीत होता है ,
चहरे पर चिंता का भाव स्पष्ट होता है |

पुत्र कहीं दूर सांसारिक सुखों में है लीन ,
या हो रहा है माया जाल का आधीन |
सेवा पिता कि वह भी है करना चाहता ,
व्यस्तता के चलते समय नहीं दे पता |

भारत रूपी पिता आज हमारे सामने खड़ा है ,
देश का जवान सब होते देख रहा है |
महत्वकान्षाएं अनेक पर स्वयं को समर्पित हैं,
युवा आज का न जाने कहाँ भर्मित है |
भूल रहा है के उसका अस्तित्व ही कहाँ रह जायेगा ,
जब एक दिन यह राष्ट्र ही मिट जायेगा |

भुखमरी, भ्रष्टाचारी का सभी को है आभास ,
चिंता भर से काम ना होगा उठानी होगी आवाज़ |
शक्ति को हमें अपनी आज पह्चान्ना होगा ,
नए भारत का निर्माण हमें ही करना होगा |
जहाँ भारत से राज्य नहीं, राज्यों से भारत होगा |
जब युवा हमारे देश का उठ खड़ा होगा |
TIME: FEB,2009

Thursday, July 22, 2010

वक्त-वक्त की बात है .......

वक्त-वक्त की बात है,
लेकिन आज वक्त किसके पास है |
किसी ने भारत को सोने की चिड़िया कहा था |
चिड़िया तो उड़ चुकी है,
गिद्दों कि पकड़ अब बन चुकी है |
जो आज नेता बन बैठे हैं,
देश को चिड़िया-घर बनाने में जिनकी मुख्य रूचि है |
वक्त-वक्त की बात है,
लेकिन सोचने के लिए आज वक्त किसके पास है |

भारत में ही कबीर,
तुलसीदास जैसे साधू-संत हुआ करते थे |
आज तो इनकी शिक्षा भी लगभग उखड़ चुकी है |
स्वामी नित्यनंद जैसों से यह धरती लद चुकी है |
वक्त-वक्त की बात है,
लेकिन सोचने के लिए आज वक्त किसके पास है
 

गाँधी जी ने कड़े संघर्ष से आज़ाद कराया था |
अंग्रेज़ों से भारत का दामन छुड़ाया था |
सोचा राष्ट्र होगा चार धर्मों से चतुर्भुज,
आज तो जैसे बिखर रहा है सब-कुछ |
क्या एैसे भारत के लिए किया था इतना-कुछ ?
वक्त-वक्त की बात है,
लेकिन आज वक्त किसके पास है |

हे ईश्वर! अब आप ही किसी महात्मा को वक्त दीजिए ,
या स्वयम किसी रूप में अवतार लीजिए |
अब भारत को इन बिमारियों से मुक्ति दीजिए |


LOCATION : Home
TIME : 2005, one of my 1st few poems :)

Monday, July 12, 2010

कुछ कमी है.....


कुछ कमी है............
दूर हो कर भी वो यहीं कहीं है |
मेरे दिल की आवाज़,
क्या उसने सुनी है?
कुछ बात है,
जो कही-अनकही है |
वो मेरे ख्वाबों,
खयालों में रमी है |
कुछ कमी है............
दूर हो कर भी वो यहीं कहीं है |

जिंदगी की रफ्तार भी,
कुछ थमी है |
रिश्ता है दोस्ती का,
बंदगी भी नहीं है |
जाने-अनजाने में,
वो कुछ खास बनी है |
कुछ कमी है............
दूर हो कर भी वो यहीं कहीं है |

हमारी कहानी,
नयी तो नहीं है |
हर धड़कन की यह,
पहेली बनी है |
इस पहेली में कही खुशी,
तो दर्द कहीं है |
एक एहसास है,
पर शायद उसे नहीं है |
कुछ कमी है............
दूर हो कर भी वो यहीं कहीं है |

Date:21|12|2006

Saturday, July 10, 2010

प्यार प्यार प्यार, ये बातें सब बेकार !


प्यार प्यार प्यार, ये बातें सब बेकार |
कभी  न पड़ना इसके चक्कर में यार ,
बड़े  खतरनाक इसके हथियार ,
सीधा  होता है दिल पर वार |
 प्यार प्यार प्यार, ये बातें सब बेकार |

शरीर पर लगे तो तू संभल जायेगा,
एक बार फिर से चल-फिर पायेगा |
मगर जो चोट दिल पे लगी ,
जीते जे प्यारे सीधा ऊपर जायेगा |
प्यार प्यार प्यार, ये बातें सब बेकार |

दिल तो है मासूम ,
दिमाग को है सब मालूम |
प्यार में जब भी दिल धड़कता है ,
दिमाग हर-दम बचाने के लिए कूद पड़ता है |
पर दिल कहाँ किसी की सुनता है ,
और अपना कफ़न खुद ही बुनता है |
प्यार प्यार प्यार, ये बातें सब बेकार |

मेरी  सलाह जानिए ,
इस दुनिया को पहचानिये ,
दिमाग कि सुनिए ,
और हर लड़की को अपना मानिए |
वरना सारा समय निकल जायेगा ,
दिल प्यार के चक्कर में रोता रह जायेगा |
छोटा सा जीवन है ,
इसे  हंस कर बिताना है |
 तो सोच लीजिए प्यार के चक्कर में नहीं आना है |
क्युकि........प्यार प्यार प्यार, ये बातें सब बेकार |

Date: 26|11|2006 

फांसले .....

दिलों की दूरी नापते हैं फांसले |
कभी घट जाते,
कभी बढ़ जाते हैं फांसले |
कभी पास हो कर भी दूर कर देते हैं फांसले |
कभी आँखों को नम,
दिल को गम देते हैं फांसले |
पैमाना नहीं कोई,
जो नाप सकें यह फांसले |
पर रिश्तों की गहरायी का,
पैमाना हैं यह फांसले |
दास्ताँ है अधूरी,
क्युंकी दरमियाँ हैं कुछ फांसले ......

Date : Jan, 2007

Wednesday, March 10, 2010

भीगी भीगी रात !


उस रात में कुछ बात थी |
उस बारिश में,
उस हवा में,कुछ बात थी |
जब तुम मेरे साथ थी |

शरमाते-शरमाते पकड़ा एक दूजे का हाथ,
पहली बार भीगे थे हम साथ-साथ |
क्या समां था ,क्या नज़ारा ,
प्यारा लग रहा था उस वक्त जहाँ सारा |

वो बारिश का पानी और भीगते हुए हम,
वो ठंडी हवा और सुन्न होते बदन |
उस वक्त आप इतने करीब आ गए,
के साँसे भी टकरा कर गुज़रने लगीं |

कुछ तो था उस रात में,
जो दीवाना कर गया |
और जिंदगी के उस पल को,
यादगार बना गया |


Date: 07/03/10
Location: Hostel, XLRI

Tuesday, March 9, 2010

एक राष्ट्र, एक अभिषाप !!


एक राष्ट्र हुआ करता था,
जिसे हिन्दुस्तान कहा करते थे |
वहाँ सभी लोग मिल कर रहा करते थे |
शिक्षा का भी एक स्तर होता था,
विश्व भर में जिसके चर्चे हुआ करते थे |

सभी वर्ग को समान शिक्षित करने का,
सपना हम देखा करते थे |
एैसे में आरक्षण को उपाय के रूप में सोचा करते थे |
आरक्षण की नियत तब नेक हुआ करती थी,
राजनीत इस मुद्दे पर शुन्य हुआ करती थी |

सोचा नहीं था विषय इतना गंभीर हो जायेगा,
राजनीत के चलते इसका उद्देश्य दम तोड़ जायेगा |
आज आरक्षण दुर्शासन तो शिक्षा द्रोपती नज़र आती है,
अपना मान बचने को वो फिर गुहार लगाती है |
दुर्भाग्य है उसका के कृष्ण की जगह अर्जुन ने ली है,
जिसने यह महाभारत खुद लिखी है |

इन सब का परिणाम आम आदमी के सर आता है,
जो राजनेताओं को कोस भर पाता है |
इस आरक्षण की फिज़ा में घुटन होती है,
यह घुटन आज समाज में महसूस होती है |
जिस वर्ग को उठाना था वो आज भी वहीं है,
आरक्षण के नाम पर बस राजनीत होती है |

Date :11/07/08
Location: Final yr Hostel, MANIT

वो चुलबुली यादें !!

           
I.I.T था मेरा सपना,
AIEEE में selection हुआ अपना,
Counselling के लिये भोपाल आया,
NIT-Bhopal को college के रूप में पाया |
सोचा अंतर इनमें खास ना होगा,
पढ़ेंगे दिल लागा कर,
I.I.T ना होने का आभास ना होगा |
तो पुरे जोश के साथ मैं college आया,
और उस दिन से जीवन में अँधेरा छाया |

Ragging का शुरू में बहुत डर था,
Seniors का भी पूरा कहर था |
Gullu Group हमने विरासत में पाया,
और गुंडा होने का tag लगवाया |
कुछ हो, कहीं हो, दोष हमें मिलता था ,
पर आपने बिना hostel में पत्ता ना हिलता था |
चार महीने में ऎसी बनी image,
जैसे Media दे रहा हो गड़रिया को coverage |
पढ़ने का पूरा जोश ठंडा होता चला गया ,
NIT-B की फिज़ा में मैं खोता चला गया |

लड़कियों मैं 12th तक कोई रूचि नहीं थी,
पर college में जीने की और कोई वजह नहीं थी |
शुरू में सउदी अरेबिया बहुत भाया,
फिर senior बैच पर ध्यान लगाया |
लड़कियों का चक्कर तो बस चला जा रहा है,
तभी तो कॉलेज में time pass हो पा रहा है |

Computer Science थी अपनी ब्रांच ,
तो सोचा Microsoft में मारेंगे सीधा chance |
जीवन की ऐसी होगी शुरुआत,
के सभी लेंगे हाथों-हाथ |
पर ये क्या ? जनता TCS से आगे बढती नहीं,
गलती जनता की नहीं,
हमारे TPO की किसी और कंपनी से बनती नहीं |
और Microsoft भी यहाँ आ कर क्या करेगी,
लड़कों से तो test में एक problem ना हिलेगी |
college बहुत अच्छा है सब मानते हैं ,
वह तो हम हैं जो 1st year के बाद C नहीं जानते हैं |

जीवन में एक दिन कुछ कर ही जायेंगे,
माता मंदिर से आगे बढ़ ही जायेंगे |
क्यूंकि Top floor में अपने भी दिमाग है,
आज भी दिल में कुछ कर गुज़रने की आग है |
देखेगी ये दुनिया सारी,
NIT-B के लड़के ने है बाज़ी मारी |
पढ़ाई तो हो जाती है, जीवन जीना जानिए,
NIT-B में आइये और दुनिया को पहचानिए |
तभी तो होगा जीवन सफल,
और कह सकूंगा गर्व से ,
NIT-B के विशाल वृक्ष का मैं भी हूँ एक फल |

Date :27/11/06
Location : Hostel No. 4(2nd yr) ,Maulana Azad National Institute of Technology, Bhopal (former name: MACT)

Here is narrative from a recent event.