Friday, April 5, 2013

होली !

होली का सवेरा एक सुखद एहसास है |
इसमें आशा, ख़ुशी और चंचलता का न्यास है |
हवा का मिजाज़ कुछ बदल सा जाता है |
कब मुट्ठी भर गुलाल कोई उसमें उड़ा जाता है |

इस रंगों के त्यौहार का अपना ही रंग है |
मन में जागी कई सोयी उमंग है |
बचपन की शरारतें तब याद आती है |
उम्र भुलाने को मजबूर जार जाती है |
रंग हाथ में लिए तब हम निकलते हैं |
और सभी साथियों के साथ हुडदंग करते हैं |
एक दुसरे के रंगे चहरे देख,
आनंद का अनुभव  कुछ खास  होता है |
हसी के ठहाकों से ज़िन्दगी का एहसास होता है |

रंगों का महत्व इस पर्व से समझ आता है |
यह एक दिन हम सबको जिंदादिली दे जाता है |
त्वचा पे लगा रंग तो अगले दिन साथ छोड़ जाता है |
पर मन पे लगा ख़ुशी, आशा, उमंग और सुकून से भरा रंग,
अगली होली तक साथ निभाता है |