Tuesday, January 4, 2011

Civil :)




बात है मई (2005) कि तूफानी रात की,
सपने में आए कुछ अजीब हालत कि |
मैंने MANIT के LECTURE HALL में खुद को पाया,
CIVIL कि CLASS थी LECTURE खत्म होने के बाद समझ आया |
CIVIL की कुड़ी ने धड़काया मेरा दिल,
तब से जमने लगी CLASS में मेहफिल |

उसके दिवाने हम होते चले गए,
उसके खयालों में खोते चले गए |
उसे IMPRESS करने के लिए 12000 का CELL ले डाला,
उसने लगा दिया था मेरी अकल पर ताला |
पर अब धीरे -धीरे होश आ रहा है,
CLASS-COLLEGE की बाकी लड़कियों पर भी ध्यान जा रहा है |
CLASS में हमेशा 1st आता हूँ,
क्युंकी COMPETITION ही एक से लगता हूँ | 

CLASS की एक लड़की थी बहुत जि़द्दी,
SEM. TOP करने की थी उसके पास सिद्धि |
मेरी उस्से कभी बात ना होती थी,
पर मेरी क्या TEACHER की उसके सामने हालत खराब होती थी |
Doubt पूछ-पूछ कर हर TEACHER को तड़पती,
और G.T. नहीं लगाउंगी इस बात पर अड़ जाती थी |
मैं उसे 1st YEAR में कभी समझ ना पाया,
फिर मेरे एक दोस्त ने मुझे उसके बारे में बताया |
दिल की थी वोह भी एकदम साफ़,
पर गुस्सा है उसका बड़ा खराब |

CIVIL में थे तो सोचा बनायेंगे मकान,
पर नहीं थम रहा था दिल का तूफ़ान |
लेकिन उस रात का तूफ़ान अचानक थम गया,
और में एकाएक नींद से जग गया |
इस सपने ने मुझे पूरा हिला डाला ,
एक रात में मुझे FUTURE दिखा डाला |
आज ये जीवन की सच्चाई है,
हमने MANIT में CIVIL पाई है 
मकान बनाने का तोह पता नहीं,
उस कुड़ी का मकान गिराने की कसम खायी है |

DATE: 28|11|06
DISCLAIMER: ALL CHARACTERS, INCIDENTS AND PLACES IN THIS POEM ARE NON-FICTITIOUS. RESEMBLANCE TO ANY PERSON LIVING OR DEAD OR TO ANY INCIDENT OR PLACE IS PURELY INTENTIONAL. :)

Monday, January 3, 2011

विश्वास है तू आएगी !!!

साथ बिताए उन पलों को तू कैसे भुला पायेगी ?
विश्वास है तू एक दिन वापस आएगी |
सवेरा-श्याम हमारा एक हुआ करता थे  ,
बिना एक-दूजे पहर ना गुज़रते थे |
उन शरारती किस्सों को तू कैसे भुला पायेगी ?
दिल मेरा कहता है तू लौट कर आएगी |

हम झील किनारे बैठें ना, एैसी श्याम कहाँ होती थी ,
कोई रात अन-बन बिना खतम नहीं होती थी |
अगला दिन सुलह करते निकल जाता था ,
फिर श्याम को साथ खड़ा देख चाँद भी मुस्कुराता था |
इन यादों के कारवां को क्या तू रो़क पायेगी ?
विश्वास है मुझे तू लौट कर आएगी |