अस्वस्थ है शरीर और वक्त का है वह मारा |
कहराने से उसकी पीड़ा का प्रतीत होता है ,
चहरे पर चिंता का भाव स्पष्ट होता है |
पुत्र कहीं दूर सांसारिक सुखों में है लीन ,
या हो रहा है माया जाल का आधीन |
सेवा पिता कि वह भी है करना चाहता ,
व्यस्तता के चलते समय नहीं दे पता |
भारत रूपी पिता आज हमारे सामने खड़ा है ,
देश का जवान सब होते देख रहा है |
महत्वकान्षाएं अनेक पर स्वयं को समर्पित हैं,
युवा आज का न जाने कहाँ भर्मित है |
भूल रहा है के उसका अस्तित्व ही कहाँ रह जायेगा ,
जब एक दिन यह राष्ट्र ही मिट जायेगा |
भुखमरी, भ्रष्टाचारी का सभी को है आभास ,
चिंता भर से काम ना होगा उठानी होगी आवाज़ |
शक्ति को हमें अपनी आज पह्चान्ना होगा ,
नए भारत का निर्माण हमें ही करना होगा |
जहाँ भारत से राज्य नहीं, राज्यों से भारत होगा |
जब युवा हमारे देश का उठ खड़ा होगा |
TIME: FEB,2009