Monday, January 3, 2011

विश्वास है तू आएगी !!!

साथ बिताए उन पलों को तू कैसे भुला पायेगी ?
विश्वास है तू एक दिन वापस आएगी |
सवेरा-श्याम हमारा एक हुआ करता थे  ,
बिना एक-दूजे पहर ना गुज़रते थे |
उन शरारती किस्सों को तू कैसे भुला पायेगी ?
दिल मेरा कहता है तू लौट कर आएगी |

हम झील किनारे बैठें ना, एैसी श्याम कहाँ होती थी ,
कोई रात अन-बन बिना खतम नहीं होती थी |
अगला दिन सुलह करते निकल जाता था ,
फिर श्याम को साथ खड़ा देख चाँद भी मुस्कुराता था |
इन यादों के कारवां को क्या तू रो़क पायेगी ?
विश्वास है मुझे तू लौट कर आएगी |

 

3 comments:

Unknown said...

very short and sweet poem...

shilpi said...

short and sweet.

Aastha said...

Beautiful!!