विश्वास है तू एक दिन वापस आएगी |
सवेरा-श्याम हमारा एक हुआ करता थे ,
बिना एक-दूजे पहर ना गुज़रते थे |
उन शरारती किस्सों को तू कैसे भुला पायेगी ?
दिल मेरा कहता है तू लौट कर आएगी |
हम झील किनारे बैठें ना, एैसी श्याम कहाँ होती थी ,
कोई रात अन-बन बिना खतम नहीं होती थी |
अगला दिन सुलह करते निकल जाता था ,
फिर श्याम को साथ खड़ा देख चाँद भी मुस्कुराता था |
इन यादों के कारवां को क्या तू रो़क पायेगी ?
विश्वास है मुझे तू लौट कर आएगी |
3 comments:
very short and sweet poem...
short and sweet.
Beautiful!!
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